tag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post3083592234998362167..comments2023-09-08T19:32:18.534+05:30Comments on मैं ... : मैंने थाम ली ऊँगली जब "मैं" की !!रश्मि प्रभाhttp://www.blogger.com/profile/06251039874592231799noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-4156629945046936242013-06-30T22:38:07.966+05:302013-06-30T22:38:07.966+05:30इस 'मैं' का विस्तार किसका कहाँ से कहाँ तक ...इस 'मैं' का विस्तार किसका कहाँ से कहाँ तक है -कृष्ण का 'मैं' या दुर्योधन का जिससे व्यक्तित्व का निर्धारण संभव हो !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-84156266286818143042013-06-30T12:11:25.594+05:302013-06-30T12:11:25.594+05:30बहुत खूब बहुत खूब Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-45511397801841143512013-06-29T12:23:22.576+05:302013-06-29T12:23:22.576+05:30ब्लॉग बुलेटिन की ५५० वीं बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन की...ब्लॉग बुलेटिन की ५५० वीं बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/06/550.html" rel="nofollow">ब्लॉग बुलेटिन की 550 वीं पोस्ट = कमाल है न </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !<br /><br />ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-4579068274088843542013-06-27T18:32:58.969+05:302013-06-27T18:32:58.969+05:30कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-69195525653480986742013-06-27T16:24:00.757+05:302013-06-27T16:24:00.757+05:30बेहतरीन .बेहतरीन .Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-33163069011268019812013-06-27T15:56:35.460+05:302013-06-27T15:56:35.460+05:30इस मैं को ही तो थामना होता है ... इसे थाम लिया तो ...इस मैं को ही तो थामना होता है ... इसे थाम लिया तो ये कृष्ण भी है बुद्ध भी है .... और सिर्फ मैं भी है ... गहरी रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-84160564857972300002013-06-27T13:39:10.158+05:302013-06-27T13:39:10.158+05:30मैं के इस वर्णन को पढ़कर लगा कि वाकई मैं को चित्र...मैं के इस वर्णन को पढ़कर लगा कि वाकई मैं को चित्रित करना खुद की सोच को उकेरना है और जब इमानदारी से मैं को उकेरा जाता है तो आत्मसंतोष मिलता है .रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-67276324319223388522013-06-27T10:06:19.353+05:302013-06-27T10:06:19.353+05:30दिल को छूने वाली रचना ...
दिल को छूने वाली रचना ...<br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01775875253243667622noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-64071731517088421222013-06-26T22:39:49.756+05:302013-06-26T22:39:49.756+05:30मैं" को यज्ञकुंड बना
अपनी कमजोरियों की आहुति...मैं" को यज्ञकुंड बना <br />अपनी कमजोरियों की आहुति देनी होती है <br />मैं' को प्रबल बना पुख्ते रास्ते बनाने होते हैं <br />ताकि ज़िन्दगी कुछ सुना सके <br />आनेवाले 'मैं' को ............<br /><br />....सच में अपना 'मैं' कितना कमजोर पड जाता है मोह के बंधन में और इसको सशक्त बना कर ही रास्ता दिखलाया जा सकता है आने वाले 'मैं' को...बहुत गहन और उत्कृष्ट प्रस्तुति...<br /><br />(पता नहीं मेरे पहले २ कमेंट किस 'मैं' की भीड़ में गम हो गए.)Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-15661727960415996802013-06-26T15:36:41.450+05:302013-06-26T15:36:41.450+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27/06/2013 को चर्चा मंच...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27/06/2013 को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच </a> पर होगा <br />कृपया पधारें <br />धन्यवाद दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-18741155127745080682013-06-25T15:41:01.367+05:302013-06-25T15:41:01.367+05:30मैंने २ बार कमेंट दिये हैं, उस समय ब्लॉग पर दिखाई ...मैंने २ बार कमेंट दिये हैं, उस समय ब्लॉग पर दिखाई देते हैं. पता नहीं बाद में क्यूँ गायब हो जाते हैं. क्या वे स्पैम में तो नहीं हैं?Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-28885947528850110952013-06-25T14:50:19.973+05:302013-06-25T14:50:19.973+05:30जीने के लिए मैं' को स्वत्व मंत्र का जाप करना ह...जीने के लिए मैं' को स्वत्व मंत्र का जाप करना होता है <br />मैं" को यज्ञकुंड बना <br />अपनी कमजोरियों की आहुति देनी होती है <br />मैं' को प्रबल बना पुख्ते रास्ते बनाने होते हैं <br />ताकि ज़िन्दगी कुछ सुना सके <br />आनेवाले 'मैं' को .........<br /><br />....सच में 'मैं' का अस्तित्व बचाने के लिए सशक्त करना होता है अपने 'मैं' को...बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...<br />....'मैं' के विभिन्न रूपों और आयामों से परिचित कराने के लिए एक अद्भुत ब्लॉग प्रारंभ करने के लिए बहुत बहुत आभार...हरेक रचना जितनी बार पढो, एक नया अर्थ देती है 'मैं' को..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-25787110293817480942013-06-25T06:45:41.887+05:302013-06-25T06:45:41.887+05:30आपके मैं से
मेरी मैं
प्रज्वलित हो गई
आभार आपके मैं से <br />मेरी मैं <br />प्रज्वलित हो गई <br />आभार विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-8116654866907644822013-06-25T00:56:22.807+05:302013-06-25T00:56:22.807+05:30सत्य अपमानित वचन सुनकर
रिश्तों से टूटकर
अलग होकर...सत्य अपमानित वचन सुनकर <br />रिश्तों से टूटकर <br />अलग होकर <br />बिलखकर भी दम नहीं तोड़ता <br />वह कर्ण की मृत्यु को भी आत्मसात करता है <br />क्योंकि असत्य के संहार के लिए <br />कई मोहबंध छोड़ने होते हैं <br />हाँ -<br />मोह 'मैं' के पैरों की जंजीर है ....बहुत सुंदर Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10711074114205495463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-30340166091686254362013-06-24T22:55:49.205+05:302013-06-24T22:55:49.205+05:30is "main" ne hi to sara jag banaya, biga...is "main" ne hi to sara jag banaya, bigada bhi.<br />bahur badhiya.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-47001130655090502132013-06-24T19:55:36.930+05:302013-06-24T19:55:36.930+05:30जीने के लिए मैं' को स्वत्व मंत्र का जाप करना ह...जीने के लिए मैं' को स्वत्व मंत्र का जाप करना होता है <br />मैं" को यज्ञकुंड बना <br />अपनी कमजोरियों की आहुति देनी होती है <br />मैं' को प्रबल बना पुख्ते रास्ते बनाने होते हैं <br />ताकि ज़िन्दगी कुछ सुना सके <br />आनेवाले 'मैं' को .............<br /><br />....सच में 'मैं' के भविष्य के लिए 'मैं' को सशक्त बनना होता है...बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4108488441005474109.post-44242701766566758552013-06-24T10:05:48.323+05:302013-06-24T10:05:48.323+05:30पर ...!!!
कर्ण की दानवीरता सीख कवच गँवा दिया
तब ह...पर ...!!!<br />कर्ण की दानवीरता सीख कवच गँवा दिया <br />तब हारकर कृष्ण का छल अपनाया <br />"मैं" को कुरुक्षेत्र बना <br />"मैं" की सेना बनाई <br />एक मैं' कौरव <br />एक मैं' पांडव <br />सारथि कृष्ण यानि सत्य !<br /><br />बहुत सुंदर ..... मैं के महत्त्व को कहती सुंदर रचना । <br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com