27 अगस्त, 2013

मेरा 'मैं' ...

रिक्तता,पूर्णता के मध्य 
अपने  'मैं' को बैसाखी बना 
चलता रहता है मेरा 'मैं' 
कभी स्तब्ध- कभी निःशब्द मुखर 
कभी चीत्कार करता,कभी शून्य में विलीन होता 
हर दिन एक नया 'मैं' 
'मैं' से लड़कर 
मेरे आगे खड़ा रहता है 
और मेरे साथ समूह की यात्रा करता है 
'मैं' के नए विम्ब-प्रतिविम्ब के लिए  ……. 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
मैं-रश्मि प्रभा स्व की एक परछाईं सीमा सिंघल 'सदा' के 'मैं' के साथ आज हूँ,कल कोई और 'मैं' मिले  … तब तक मिलिए आज के 'मैं' से 

मेरा 'मैं' - मेरा अहंकार,
मेरा 'मैं' - 
मुझसे भी श्रेष्‍ठ जब हो जाता है 
सच कहूँ
कुछ जलने लगता है  मन में
पर फिर भी नहीं पिघलता
जाने क्‍यूँ मेरा 'मैं'
...
तर-ब-तर पसीने में भीगा 'मैं'
शुष्क ज़ुबान
खोखली बातों का सिरा लिये
सच की जड़ों तक जब पहुँचता है 
घुटनों के बल बैठ
अपने अमिट और अटल होने का अनुमान, 
जीवन का संज्ञान लिये
अपने बुनियाद होने का दंभ भरता है
और इस तरह
खोखला हो जाता कहीं मेरा ही मैं
......
मेरा 'मैं' - मेरा शिखर,
फिर भी हो जाता मौन
श्रेष्‍ठता की पहली पंक्ति पर बैठा
हर चेहरे पर अपना अक्‍स लिये
अपनी भव्‍यता का पाठ  सुनाता
अपना इतिहास गाता 
किसने उसकी उड़ाई हँसी
किसने परिहास किया
सब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
कितने सवालों को अनसुना कर
सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्‍य करता 
एक दिन तपकर
कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'
.....

सदा

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर.....
    आपकी तरह सीमा से मुझे भी बड़ा स्नेह है दी....
    शुक्रिया !!

    सादर
    अनु

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  2. सब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
    कितने सवालों को अनसुना कर
    सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्‍य करता
    एक दिन तपकर
    कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'
    ....सच में यह 'मैं' होता ही ऐसा है...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...

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  3. बहुत सुन्दर..... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. वाह ! यह 'मैं' ही स्वयं का मान भी बन जाता है और अभिमान भी ! इस 'मैं' का जितना भी अभिनन्दन किया जाये कम होगा ! बहुत ही सुंदर रचना ! सदा जी व आप दोनों का बहुत-बहुत आभार एवँ शुभकामनायें !

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  5. सब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
    कितने सवालों को अनसुना कर
    सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्‍य करता
    एक दिन तपकर
    कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'

    बहुत सुन्दर
    .ॐ भगवते वासुदेवाय नम:
    latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।

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  6. यह मैं ही स्वाभिमान का द्योतक है ... बहुत सुंदर प्रस्तुति ।

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  7. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
    कभी यहाँ भी पधारें

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  8. मैं के भाव में स्वाभिमान से अभिमान आते देर नहीं लगती ... तलवार की चार पे चलने जैसा है ये ...

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना ।

    ये 'सदा' जी की फोटो है आज पहली बार देखी शुक्रिया आपका |

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  10. आपका बहुत-बहुत आभार इस प्रस्‍तुति के लिए
    सादर

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  11. ' मैं ' में समाहित सब !!!
    अद्भुत प्रस्तुति !!!

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  12. ''मैं'' में मैं को खोजना सबके कठिन काम ....खूबसूरत रचना

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  13. विभिन्न परिस्थितियों से गुज़ारता यह 'मेरा मैं' ही मेरी पहचान बन जाता है .....

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  14. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (6) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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