रिक्तता,पूर्णता के मध्य
अपने 'मैं' को बैसाखी बना
चलता रहता है मेरा 'मैं'
कभी स्तब्ध- कभी निःशब्द मुखर
कभी चीत्कार करता,कभी शून्य में विलीन होता
हर दिन एक नया 'मैं'
'मैं' से लड़कर
मेरे आगे खड़ा रहता है
और मेरे साथ समूह की यात्रा करता है
'मैं' के नए विम्ब-प्रतिविम्ब के लिए …….
मैं-रश्मि प्रभा स्व की एक परछाईं सीमा सिंघल 'सदा' के 'मैं' के साथ आज हूँ,कल कोई और 'मैं' मिले … तब तक मिलिए आज के 'मैं' से
मेरा 'मैं' - मेरा अहंकार,
मेरा 'मैं' -
मेरा 'मैं' -
मुझसे भी श्रेष्ठ जब हो जाता है
सच कहूँ
कुछ जलने लगता है मन में
पर फिर भी नहीं पिघलता
जाने क्यूँ मेरा 'मैं'
...
तर-ब-तर पसीने में भीगा 'मैं'
शुष्क ज़ुबान
खोखली बातों का सिरा लिये
सच की जड़ों तक जब पहुँचता है
घुटनों के बल बैठकुछ जलने लगता है मन में
पर फिर भी नहीं पिघलता
जाने क्यूँ मेरा 'मैं'
...
तर-ब-तर पसीने में भीगा 'मैं'
शुष्क ज़ुबान
खोखली बातों का सिरा लिये
सच की जड़ों तक जब पहुँचता है
अपने अमिट और अटल होने का अनुमान,
अपने बुनियाद होने का दंभ भरता है
और इस तरह
खोखला हो जाता कहीं मेरा ही मैं
......
मेरा 'मैं' - मेरा शिखर,
फिर भी हो जाता मौन
श्रेष्ठता की पहली पंक्ति पर बैठा
हर चेहरे पर अपना अक्स लिये
अपनी भव्यता का पाठ सुनाता
अपना इतिहास गाता
किसने उसकी उड़ाई हँसीश्रेष्ठता की पहली पंक्ति पर बैठा
हर चेहरे पर अपना अक्स लिये
अपनी भव्यता का पाठ सुनाता
अपना इतिहास गाता
किसने परिहास किया
सब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
कितने सवालों को अनसुना कर
सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्य करता
एक दिन तपकर
कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'
.....
बहुत ही खूबसूरत ये 'मैं' !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंआपकी तरह सीमा से मुझे भी बड़ा स्नेह है दी....
शुक्रिया !!
सादर
अनु
सब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
जवाब देंहटाएंकितने सवालों को अनसुना कर
सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्य करता
एक दिन तपकर
कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'
....सच में यह 'मैं' होता ही ऐसा है...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर..... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा मैं
जवाब देंहटाएंशुभकामना
वाह ! यह 'मैं' ही स्वयं का मान भी बन जाता है और अभिमान भी ! इस 'मैं' का जितना भी अभिनन्दन किया जाये कम होगा ! बहुत ही सुंदर रचना ! सदा जी व आप दोनों का बहुत-बहुत आभार एवँ शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसब बातों से बेखबर मेरा 'मैं'
जवाब देंहटाएंकितने सवालों को अनसुना कर
सिर्फ कर्ता बनकर कर्तव्य करता
एक दिन तपकर
कुंदन हो जाता मेरा 'मैं'
बहुत सुन्दर
.ॐ भगवते वासुदेवाय नम:
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
खूबसूरत 'मैं'
जवाब देंहटाएंयह मैं ही स्वाभिमान का द्योतक है ... बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंभावो को संजोये रचना......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंhttp://yunhiikabhi.blogspot.com
बहुत अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंhttp://yunhiikabhi.blogspot.com
शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें
मैं के भाव में स्वाभिमान से अभिमान आते देर नहीं लगती ... तलवार की चार पे चलने जैसा है ये ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंये 'सदा' जी की फोटो है आज पहली बार देखी शुक्रिया आपका |
आपका बहुत-बहुत आभार इस प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंसादर
' मैं ' में समाहित सब !!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत प्रस्तुति !!!
''मैं'' में मैं को खोजना सबके कठिन काम ....खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंमै- बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:-)
विभिन्न परिस्थितियों से गुज़ारता यह 'मेरा मैं' ही मेरी पहचान बन जाता है .....
जवाब देंहटाएंपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (6) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !