मैं - केवट है
सीमा सिंघल 'सदा'
तो मैं ही राम
केवट को राम कह लो
या राम को केवट .....
मैं ही किनारे से बढ़ता है
मैं के सहारे दूसरे किनारे पहुँचता है
मैं चाह ले दुविधा तो मझदार
मैं थाम ले अपने डगमगाते विचारों को
तो किनारा ............
मैं में अद्भुत क्षमता है
मैं - रश्मि प्रभा
आज मैं' की आस्था की अखंड ज्योत लिए जानी मानी सीमा सिंघल अपनी सदा के साथ हैं -
मैं के रंगमंच पर ...........
मैं एक ऐसा बिंदु
जो आस्था भी है और संकल्प भी
मैं शक्ति भी मैं सर्वस्त्र भी
मैं वो दर्पण
जिसमें हर एक को अपने
हम का प्रतिबिम्ब दिखलाई देता है
मैं नदियों में गंगा
वेदों में गीता
अनंत मेरा आकाश
सहस्त्र मेरा धरती
जो मिटाये नहीं मिटता
झुकाये नहीं झुकता
....
मैं साथ सबके ऐसे
जैसे एक साँकल
कड़ी दर कड़ी शांत स्थिर मना
जब बजे तो भीतर तक
एक स्वर में बजकर गुँजायमान हो !
....
मैं एक सुरक्षा प्रहरी
अडिग अविचल शक्तिशाली
भय रहित कर
विश्वास की हथेलियों के मध्य
उंगलियों के पोरों की छुअन से
जो वचनबद्धता के कुंदे पर सवार हो
तो हवाओं के मध्य
मेरी अडिगता का बखान होता
मैं का नहीं कभी भी अवसान होता
मैं से तो बस जीवन का दान होता !!!!जो आस्था भी है और संकल्प भी
मैं शक्ति भी मैं सर्वस्त्र भी
मैं वो दर्पण
जिसमें हर एक को अपने
हम का प्रतिबिम्ब दिखलाई देता है
मैं नदियों में गंगा
वेदों में गीता
अनंत मेरा आकाश
सहस्त्र मेरा धरती
जो मिटाये नहीं मिटता
झुकाये नहीं झुकता
....
मैं साथ सबके ऐसे
जैसे एक साँकल
कड़ी दर कड़ी शांत स्थिर मना
जब बजे तो भीतर तक
एक स्वर में बजकर गुँजायमान हो !
....
मैं एक सुरक्षा प्रहरी
अडिग अविचल शक्तिशाली
भय रहित कर
विश्वास की हथेलियों के मध्य
उंगलियों के पोरों की छुअन से
जो वचनबद्धता के कुंदे पर सवार हो
तो हवाओं के मध्य
मेरी अडिगता का बखान होता
मैं का नहीं कभी भी अवसान होता
सीमा सिंघल 'सदा'
http://sadalikhna.blogspot.in/
वाह! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 29/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
गम्भीर चिन्तन में लगा दिया आपने
जवाब देंहटाएंमैं कैसे हटाऊँ मैं को
कैसे बदलूँ उसे
हम में
सादर
अद्भुत अनुपम गहन चिंतन से परिपूर्ण अत्यंत हृदयग्राही रचना ! अति सुंदर ! शुभकामनायें स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंवाकई "मैं" में बहुत कुछ छुपा होता है।
जवाब देंहटाएंbahut sundar main ki khoj hi anant hai ..
जवाब देंहटाएंvaah bahut hi sundar v sarthak chitran kiya hai "main " ka
जवाब देंहटाएंअद्भुत हैं दोनों ही अभिव्यक्तियाँ ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...!!
बहुत ही सुन्दर और सार्थक हैं रचनाये,आभार.
जवाब देंहटाएंमैं का नहीं कभी भी अवसान होता
जवाब देंहटाएंमैं से तो बस जीवन का दान होता !!!!
गहन चिंतन ... मैं है तो हम है .... मैं नहीं तो कुछ नहीं ....
मैं का नहीं कभी भी अवसान होता
जवाब देंहटाएंमैं से तो बस जीवन का दान होता !!!!
...बहुत सुन्दर गहन चिंतन....
मैं ही में छुपा है..जीवन का सच..
जवाब देंहटाएं"मैं" का ये खूबसूरत सफर यूं ही चलता रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएं पढने को मिल रही हैं।
बहुत सुंदर रश्मि दी..
मैं साथ सबके ऐसे
जवाब देंहटाएंजैसे एक साँकल
कड़ी दर कड़ी शांत स्थिर मना
जब बजे तो भीतर तक
एक स्वर में बजकर गुँजायमान हो !
....
अद्भुत ! बहुत सुंदर !
मैं ही मैं ... मैं ह मैं ...
जवाब देंहटाएंमुझे गाइड फिल्म याद आ गई ... जब देवानंद अपने आप से बात करता है ...
सुन्दर और सार्थक.
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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आभार आपका इस प्रस्तुति के लिए ...
जवाब देंहटाएंसादर
मैं साथ सबके ऐसे
जवाब देंहटाएंजैसे एक साँकल
कड़ी दर कड़ी शांत स्थिर मना
जब बजे तो भीतर तक
एक स्वर में बजकर गुँजायमान हो !
....बहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...